अंश १३२
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हिन्दू धर्म पर बाते. जय लखानी द्वारा.
यह एक कठिन यात्रा है
मुझे नहीं पता.. शायद मैं सिर्फ भाग्यशाली रहा हूं.
मुझे नहीं लगता कि मैं बहुत बुद्धिमान हूं
लेकिन मैं बस शायद भाग्यवान रहा की मैं विवेकानंद जैसे महानुभाव
से परिचित हो सका, जो मुझे प्रेरणा और एक तरह से उत्तेजना देते है.
और मैं सब से यह कहता हूं की देखो, आपके लिए कौन सा उपदेश है?
यह मेरे लिए काम आ सका
शायद आपके काम आ सके या ना भी आ सके, मुझे नहीं पता.
यह आपके व्यक्तिगत पथ पर, व्यक्तिगत स्वभाव पर निर्भर करता है.
लेकिन बात यह है, मान लो अगर आपको ये प्रोत्साहन दिया जाता है की ब्रह्म की अनुभूति
करने की शक्यता यहीं और इसी समय है, ये ऊट-पटांग बाते नहीं,
कोई इसको सिद्ध कर सकता है. तो अगर ये आश्वासन आप को बढ़ावा देता है,
आपको इस यात्रा से जुड़ने में ज्यादा उत्साही बनाता है, तो होने दो।
क्योंकि मैं आपको बता रहा हूं, ऐसा बिलकुल नहीं है की सिर्फ विशेष लोगों का ही इस पर
अधिकार है।
एक साधारण व्यक्ति - देखो मैं हर मायने में बहुत साधारण हूँ – इसकी जांच कर
पा सकता है तो फिर क्यों, क्यों निराश हो कर टाल देना?
यह एक कठिन यात्रा है, लेकिन होने दो.
देखो जीवन में रस है क्योंकि अगर यह इतना आसान होता तो सब को दो मिनट में मोक्ष मिल जाता,
ऐसे तो कितना फीकापन होता, हम सभी चले जाते!
इस यात्रा के माध्यम से जाना अच्छा है, उतार चढ़ाव के माध्यम से जाना,
संघर्ष भी करना, यह मजे का भाग है।
क्योंकि थोड़े संघर्ष के बाद एक बार खजाना मिले, फिर वह उतना ज्यादा मजे दायक और
सुखद होता है।
तो यात्रा कठिन है और मेरे पास कोई आसान नुस्खा नहीं है, जो मैं बाँट सकूँ,
सिवाय एक, जो मेरे अनुकूल, मेरी जरूरतों के अनुकूल आ सका,
जो है की यह अनोखे व्यक्ति जिनको स्वामी विवेकानंद कहा जाता है।
और मैं एक बात की गारंटी देता हूं, यदि आप उनके जीवन का अध्ययन या उनकी शिक्षाओं का अध्ययन करें,
अगर वह आपका ध्यान नहीं छीन पाता, अगर आप गंभीर है और ईमानदार है तो आप
मुसीबत में हैं, क्योंकि वह आपका ध्यान छीन लेंगे।
क्योंकि वह सभी चीज़ें जिनका वह प्रचार और परिचय करवाते है वह इतनी बेहतरीन तरह से सोची हुई
और हमारी अवस्था, हमारे अपने समय के लिए योग्य है कि वह आपको पकड़ लेगी और आपके अंदर
हलचल मचाएगी और आपको दौडाती रहेगी।
एक छोटी चेतावनी -
जैसे पता है जब आप दवा लेते है, तब उसके साथ एक छोटी पत्ती जो सभी दवाओं के
साथ आती है,और दवाई देने वाला आपको वह पढ़ने को कहेगा -
और जो चेतावनी दवा के साथ मिलती है वह आपको कुछ दुष्प्रभाव के बारे में बताती है।
जैसाकि चक्कर आए तो ध्यान रखना, गाड़ी न चलना, भारी साधनों का प्रयोग न करना।
इसी तरह मैं आपको बताता हूं जो चीज विवेकानंद के साथ आती है:
अगर विवेकानंद के शिक्षण की एक छोटी बूंद भी आपके जीवन में प्रवेश करती है,
आपकी प्रणाली में प्रवेश कर जाती है,
तो फिर आप असली मुसीबत में हैं। मैं आपको बता रहा हूँ ये वह दुष्प्रभाव है.
वह आपको चैन से नहीं बैठने देगा, आपका जीवन एक घुमाव में होगा.
तो जैसे आप दवा लेकर थोड़े सनक जाते है बस वैसे ही
अगर विवेकानंद आपकी प्रणाली में प्रवेश कर जाए, अगर एक बूंद भी आपकी प्रणाली में प्रवेश कर जाय,
आप बाकी के जीवन में हैरान रहेंगे, आपको चैन नहीं मिलेगा.
मैं बता रहा हूं यह कितना कठिन नुस्खा है, कितना कठोर.
यह आपको पूरा हिला कर रख देगा, आपको बेचैन रखेगा.
क्योंकि यह तब तक आपको हिलाता रहेगा जब तक आप अपनी पहचान
ब्रह्म होने का एहसास नहीं कर लेते, यह आपको मुक्त नहीं करेगा, छोड़ेगा नहीं.
एक बार आपकी प्रणाली में घुसने पर, आपको भगाएगा,
और कई बार सवारी कठोर भी है, पर जो है सो है.